Vasant

1 अभी न होगा मेरा अंत अभी - अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसंतμ अभी न होगा मेरा अंत। हरे - हरे ये पात, डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात। मैं ही अपना स्वप्न - मृदुल - कर पेफरूँ गा निदि्रत कलियों पर जगा एक प्रत्यूष मनोहर। पुष्प - पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं, अपने नव जीवन का अमृत सहषर् सींच दूँगा मैं, द्वार दिखा दूँगा पिफर उनको। हैं मेरे वे जहाँ अनंतμ अभी न होगा मेरा अंत। μसूयर्कांत त्रिापाठी ‘निराला’ 2 वसंत भाग 3 कविता से 1.कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा? 2.पूफलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन - कौन - सा प्रयास करता है? 3.कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है? कविता से आगे 1.वसंत को ट्टतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चचार् कीजिए। 2.वसंत ट्टतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्रा कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध् लिख्िाए। 3.फ्ट्टतु परिवतर्न का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता हैय्μइस कथन की पुष्िट आप किन - किन बातों से कर सकते हैं? लिख्िाए। अनुमान और कल्पना 1.कविता की निम्नलिख्िात पंक्ितयाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ट्टतु का वणर्न है? पूफटे हैं आमों में बौर भौंर वन - वन टूटे हैं। होली मची ठौर - ठौर सभी बंधन छूटे हैं। 2.स्वप्न भरे कोमल - कोमल हाथों को अलसाइर् कलियों पर पेफरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी - खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा - भरा करना चाहता है। पूफलों - पौधों के लिए आप क्या - क्या करना चाहेंगे? ध्वनि 3 3.कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कायर् की बात बता रहा है। अनुमान कीजिए और लिख्िाए कि उसके बताए कायो± का अन्य किन - किन संदभो± से संबंध जुड़ सकता है? जैसेμनन्हे - मुन्ने बालक को माँ जगा रही हो...। भाषा की बात 1.‘हरे - हरे’, ‘पुष्प - पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अथर् में पुनरावृिा हुइर् है।कविता के ‘हरे - हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे - हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कतार् या विशेष्य एक वचन में हो और कमर् या िया या विशेषण बहुवचन मेंऋ जैसेμवह लंबी - चैड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अिाक अथो± में भी प्रयोग होता हैμफ्तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।य् जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है। एक शब्द ‘बेर’ का दो अथो± में प्रयोग करने से वाक्य मंे चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है। कभी - कभीउच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृिा का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैंऋ जैसेμमन का/मनका। ऐसे वाक्यों को एकत्रा कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृिा हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देख्िाए और निम्नलिख्िात पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिएμबातों - बातों मंे, रह - रहकर, लाल - लाल, सुबह - सुबह, रातों - रात, घड़ी - घड़ी। 2.‘कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे - हरे ये पात’ विशेषण जिस संज्ञा ;या सवर्नामद्ध की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। उफपर दिए गए वाक्यांशों में गात, वसंत और पात शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता ;विशेषणद्ध व्रफमशः कोमल, मृदुल और हरे - हरे शब्दों से ज्ञात हो रही है। हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए हैंμगुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सावर्नामिक विशेषण। वुफछ करने को 1.वसंत पर अनेक सुंदर कविताएँ हैं। वुफछ कविताआंे का संकलन तैयार कीजिए। 2.शब्दकोश में ‘वसंत’ शब्द का अथर् देख्िाए। शब्दकोश में शब्दों के अथो± के 4 वसंत भाग 3 अतिरिक्त बहुत - सी अलग तरह की जानकारियाँ भी मिल सकती हैं। उन्हें अपनी काॅपी में लिख्िाए।

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